Kya kab aur Kaise Bojhan Kare

 

सूर्योदय और सूर्यास्त का प्रभाव: ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में परिवर्तन


Kya kab aur Kaise Bojhan Kare
क्या हाम अपने सरीर के साथ अन्नाए कर रहे हैं फिर हाम कहते की ये बीमारी क्यों अ गई क्या हामे ये बिचार करते हैं की कब क्या और कैसे खाए नहीं करते हैं बोजन को खाने से फेले क्या सोचते हैं की जो बोजन करने जा रहे हैं हमारे सरीर और हेल्थ के लिए कितना सही हैं की नुकसान दे हैं या सिर्फ हाम स्वाद के कारण सिर्फ पेट भर रहे हैं और भूक से जयदा  कहा रहे हैं। सरीर में कोई प्रॉब्लेम और नेगटिव इफेक्ट तो नहीं करेगा,सरीरी के लिए भोजन बहुत जरूर हैं मगर पोस्टिक सात्विक और नैच्रल जिसके कारण गैस और असिडिटी की प्रॉब्लेम बदती जा रही हैं जिसका मैन कारण ही हैं बाहर का कहना अन्टाइम्ली बोजन करना बार बोजन करना और बहुत ऑइली और मसले दर छीजे लेना। 


  भोजन करने से पहिले हम जरा सोच ले की जो भोजन हम कर रहे है  हमारे स्वस्थ के लिए ठीक है या नही । सुबह राजकुमार जैसा भोजन दोपहर को राजा  जैसा भोजन और रात मे रंक जैसा भोजन करना चाहिए । लेकिन हम उल्टा करते है रात मे सबसे जयदा हेवी और ऑइली भोजन करते जो अपने सरीर के साथ हिंसा है और बीमारी को इन्वाइट खुद कर रहे है नीद ठीक से नहीं आने का यही कारण है और सपने ही नीद मे इसी कारण आते है जो हमे स्वस्थ नही रहने देते.                     

सूरज उगता है तो ऑक्सीजन की प्राणवायु की मात्रा बढ़ती है।प्राणवायु जरूरी है। की मात्रा बढ़ती है।प्राणवायु जरूरी है श्रम को?करने के लिए।जब राखी आती है सूर्य डूब जाता है तो प्राण वायु का औसत गिर जाता है हवा में।जीवन को अब कोई जरूरत नहीं है। कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बन दूध औसत का मात्रा बढ़ जाती है जो कि विश्राम के लिए जरूरी है। जान के आप हैरान होंगे कि ऑक्सीजन जरूरी। मनोवैज्ञानिक अब कहते हैं कि हमारे अधिकतर दुख सपनों का कारण हमारे पेट में पड़ा हुआ भोजन।हमारी मुद्रा की जो अस्तव्यस्तता है, अराजकता है उसका कारण पेट में पड़ा हुआ भोजन।आपके सपने।अधिक मात्रा में आपके भोजन से पैदा हुए हैं ।आपका पेट परेशान हैं। कम में लिन  वे दिन भर चुप गया। काम का समय बीत गया और अब भी आपका पेट कम लिन , बाकी हम तो अद्भुत लोग हैं। हमारा असली भोजन रात में होता है।बाकी तो दिन भर हम काम चला लेते।असली बोजन बढ़ बोजन भारी बोजन तो हाम रात में लेते  हैं ।उससे ज्यादा अन्नाए  शरीर किसान दूसरे नहीं हो सकती, इसलिए अगर महावीर ने रात्रि भोजन को हिंसा कहा हैं 
प्रस्तावना:ह लेख सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में होने वाले परिवर्तनों और इन परिवर्तनों के प्रभावों पर प्रकाश डालता है।

सूर्योदय और ऑक्सीजन:

  • सूर्योदय के साथ, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है।
  • ऑक्सीजन, श्वसन के लिए आवश्यक है, जो ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सूर्योदय के बाद, ऑक्सीजन का बढ़ता स्तर ऊर्जावान महसूस करने और शारीरिक श्रम करने के लिए अनुकूल होता है।

सूर्यास्त और कार्बन डाइऑक्साइड:

  • सूर्यास्त के समय, प्रकाश संश्लेषण रुक जाता है, जिसके कारण वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।
  • इसी समय, श्वसन क्रिया जारी रहती है, जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड, विश्राम के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है।

भोजन और मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

  • मनोवैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अधिक भोजन करने से अपच और सपने में बाधा उत्पन्न होती है।
  • अस्तव्यस्त मुद्रा भी अपच का परिणाम हो सकती है।
  • रात्रि भोजन को कम मात्रा में लेना बेहतर होता है, क्योंकि यह शरीर को अधिक ऊर्जा प्रदान करता है और नीद भी अचही  आती है बही जायद भोजन  करने से नीद ठीक से नही आती है.

निष्कर्ष:

यह स्पष्ट है कि सूर्योदय और सूर्यास्त, वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित करते हैं। इन परिवर्तनों का प्रभाव हमारी ऊर्जा स्तर, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

अतिरिक्त टिप्पणी:

  • इस लेख में, "प्राणवायु" शब्द का उपयोग ऑक्सीजन के लिए किया गया है।
  • "कार्बन दूध" शब्द का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड के लिए किया गया है।
  • "अस्तव्यस्तता" और "अराजकता" शब्द का उपयोग अपच के लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया गया है 

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