Sukhi aur swasth jivan ka raaz kya hain:सुखी और स्वस्थ जीवन का राज क्या हैं

 Sukhi aur swasth jivan ka raaz kya hain:सुखी और स्वस्थ जीवन का राज क्या हैं.

Sukhi aur swasth jivan ka raaz kya hain

मनुष्य अपनी ही सोच की उपज है,जैसा सोचते हैं वेसा बन जाते हैं
जैसी दृष्टि वेसी सिस्टी                                              
 जैसा आन वेसा मान
 जैसा पानी वेसे बानी
 जैसा संग वेसा रंग


4 बेध और 14 शास्त्र बाद में मिले हैं 2 सुख देने से सुख होहत है दुख देने दुख

सुख खुशी और संतुष्टि हमारी सोच पर निर्भर करती है अगर हमारी सोच सकारात्मक है सुख प्रधान करती है अगर सोच नकारात्मक है दुख प्रधान करती है अपने सोच को हर परिस्थिति में पोस्टिव रखती है ये खुश रहने का मूल मंत्र है
  • सुख भारी चीज़ों से नहीं हमारे अंदर मन पर निभा करता है
  • कुश और प्रसन्न सिर्फ भगवान को माने से मिल सकते हैं और उनसे कनेक्शन जुड़ना और भगवान पर पूरा भरोसा करना और सत्य को स्वीकार करना स्वीकार करना स्वीकार करना ही जीवन का मकसद है

उदाहरण के लिए

  1. जो हो रहा है ठीक हो रहा है और जो होगा वो भी ठीक होगा जो होने वाला है वो भी ठीक होगा
  2. होगा वही और होता बी वोही है जो होना होता है एसबी भगवान के मर्जी से होता है और अच्छे की मर्जी हमारे कर्मो के हिसाब से होती है बिना उनकी मर्जी से एक पता नहीं हाय सच है क्या आप दिल से स्वीकार करते हैं तो कोई आपको स्वीकार करता है दुखी नहीं कर सकता है सुखी और स्वस्थ रहने का मूल मंत्र है
एक छोटा सा बच्चा इतना खुश मस्त और स्वस्थ केसे रहता है खुद हास्ता है और दूसरे को भी खुश करा देता है ये कितना अच्छा सबक है हमारे लिए

देना ही जीवन जीने का सुख है और सिर्फ लेना बाद में दुख ही देता है करके देख ले
प्यार बांटो प्यार मिलेगा खुशियां बांटो खुशी मिलेगी
दुनिया के सारी दौलत से भी ज्यादा कीमत है मन की तान ही खुशी हर कोई खुशी होना चाहता है खुशी पाने के लिए बहुत दौड़ रहा है लेकिन अपने करम, अपने शब्दों और व्यवहार में मेरा ध्यान है, जो देगा मिलेगा तो वोही, अपने करम शब्दों के व्यवहार पर ध्यान दे जो चाहेगा वो मिलेगा.

करण क्या हैं आ शांति बढ़ रही है सुखी और खुशी से हाम क्यों दूर क्यों हो रहे हैंपर्बतन ही जीवन का नियम है:

  • सुख के बाद दुख दुख के बाद सर्दी और सर्दी के बाद गर्मी ये भगवान का नियम हैं और ये अटल सत्य हैं जो लोग चाहते हैं कि हम हर समय सुख में रहें ये संभव नहीं हैं
  • खुशियां सिर्फ चाहने से नहीं मिलती हैं इसका उपाय करना पढ़ता है खुशी आचे करम से ही शांति और सेहत बनी रहेगी करम और सोच हमारे अगर अच्छे नहीं हैं तो सुख और शांति नहीं मिल सकती.
  • अगर आप खुश नहीं हैं तो इसका सब से बड़ा कारण है संतोष सिकायत और हमारी पसंद अगर आप खुश नहीं हैं तो इसका सब से बड़ा कारण है संतोष नहीं है और दूसरे से सिकायत और हमारी डिमांड और अनलिमिटेड दूसरे से उम्मीद रखना हमरा नेगेटिव सोचना जीवन के आनंद को खत्म कर रहा है और हमें खुश और सुखी नहीं होने दे रहा है
  • हमारा मनसा रहता है कि सब कुछ हमारे हिसाब से हो इस दुनिया में सब कुछ मेरे हिसाब से हो मेरा बिजनेस भी मेरे हिसाब से हो मेरी पत्नी भी मेरे हिसाब से चले मेरे बच्चे भी मेरे हिसाब से चले ये ही दुख का सब से बुरा कारण है , ये संभव नहीं है मगर जब ऐसा नहीं होता है तो हमारे मन में अशांति पैदा होती है.
  • बड़े अर्राज की बात है हमारा मान ही हमारे कंट्रोल में नहीं है और हम चाहते हैं कि सब कुछ हमारे मान के हिसाब से हो.
  • सब से बड़ा कारण है हमारा नकारात्मक दिमाग और सोच सब में गलती ढूंढना शिकायत करना गुस्सा रहना कामना का मौलिक सबव है असंतुष्ट रहना
  • अगर हम अपने से ऊंचे लोगो को देखेंगे तो हम खुश नहीं रह पाएंगे संतोष ना होना ही हमारे आसंतोष और अशांत होने का कारण है.

कबीर साहब दोहा

  • बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।
  • मन के मते न चलिये, मन के मते अनेक। जो मन पर असवार है, सो साधु कोई एक।।

  • हमारा मान ही हमारा दुश्मन है ये हमें खुशी नहीं रहने देता है सारी दुनिया के दौलत भी मिल जाए तो भी ये कभी नहीं भर सकता है.
  • हमरे शास्त्र के अनुसर मन को एक घोड़ा से अनुसर कहा गया है इसमें लगाम लगना बहुत जरूरी है क्या घोड़े को बिना लगाम के चलाया जा सकता है नहीं इसलिए लगाम लगना बहुत जरूरी है.
  • किसी को दुख न मिले, अपमान न करे, अधर्म से बचे, बेमानी से पैसा न कमाए ईशा पैसे आने से रोग सोख और पतन का कारण बन सकता है
रहिमन आह गरीब का कभी न निष्फल जाए, मरी खाल की सांस से लौह भस्म हो जाय

क्यों की किसी गरीब की हाए बहुत खतरनाक और हानिकारक होती हैं जिस लोहार की चिमनी निजीव होते हुए भी लोहा को बसम रखने की शक्ति रखती हैं तो जरा सोचो जब मारी हुई खल लोहा को बसम कर सकती हैं तो उसकी प्रकृति जिंदा आदमी ही हाये और बद्दुआ हमरा क्या हाल कर सकती है पु रा कुल का भी नाश हो सकता है ये हमने आपने बड़े से सुना है

इंसान अपने पैसे और अपने शक्ति के दाम पर अगर कोई दुख देता है तो उसका क्या हाल होता है
पाप का घड़ा जैसा ही भरा और पुत्ता है तो क्या होता है बहुत से उधार है पानी देने वाला भी नहीं मिलता है नहीं कोई मदद गर मिलता है दिया में जब तक तेल है जले गा तो जब तक ही.
कुदरत की लाठी में आवाज नहीं है लेकिन भारी और ताकतवर बहुत है राजा से रंग रंग से राजा बनने में देर नहीं लगती है

इसलिए करम से डरे भगवान से नहीं


अगर आप में हाहाकार और गुस्सेल प्रकृति के हैं तो मान शांत नहीं रह सकता है, ये हमारे सब से बढ़े दुस्बन हैं और दुसवन की जरूरत नहीं, हमें ख़तम करने के लिए ये ही ख़फ़ी हैं





 जो   भी ईसठती या परसिसथी  ,शुक ओर ढुक ,रोग या पतन  ब्यापार मे घाटा  हमारे सामने आती  है ओ हमारे कर्मों  के  अनुसार ही आती है किसही  दूसरे  के कर्मों  का फल हमे  नहीं  मिल  सकता है 100 % कन्फॉर्म है कुदरत  का अटल  सत्य  है बड़े आश्चर्य  की बात  है ये  हमारे मन  का पागलपन है हमारी  आज्ञानता है की  हम अपने कर्मों  का फल  भी नही  व्होगना  चहाते\ इसी  कारण हम खुस  नही  रह पाते क्यों  नही  भोगना चहाते जब कर्म  हमने  किया है तो भोगना तो हमे हमे  ही  पढ़ेगा अब  हम  धुकही हो जाए  या एक्सेप्ट करे अगर  करते है तो टेंशन नही होगा क्या  हम  सुबह जल्दी कर सकते है ,रात देर  से आए ,रोक  सकते है क्या ,धूप न  आए बरसात  न हो रुक  जाए । क्या है हमारे हाथ मे । कुछ भी नहीं कर सकते ,एक्सेप्ट करते  है की  नही ,एक्सेप्ट   एक्सेप्ट एक्सेप्ट नो otherway ,टीवी  देखते  है पिक्चर देखने  जाते  है  चुपचाप देखते है की नहीं कमेन्ट कर सकते  है मगर  कुछ भी चेंज  नही कर सकते है। न बदल सकते  है तो हम क्या है हमारी  हस्ती क्या है कुओ  हम हम हम करते  रहते है ईस ही  तरह  जीवन  मे स्टॉर्म भी आएगी ,तूफान  भी आएगा जोरसे  हवा  भी चलेगही क्या हम रोक पाते  है सिर्फ  बचने  का  उपाय  करते है बस । और कर  भी क्या सकते है. 

,इशी तरह जो जीवन  मे झुकक\ गया ,या  सत्य  को एक्सेप्ट कर  लेता है इस बात  को  हम मान  ले जान ले एक्सेप्ट करले  की हमारे  कर्मों  का फल  ही  हमे  मिल  रहा  है किसी  और  के कर्मों  का  नही और  जो हो  रहा  है ओ ईश्वर की मर्जी से हो रहा है ईश्वर की मर्जी हमारे  कर्मों के अनुसार होती  है। जैसे ही अप इस बात को मनाने  लकते है मन की शांतही  मिलने लकती है और हम सुख ही जीवन जी ने लकते है। एक्सेप्ट  एक्सेप्ट एक्सेप्ट 

संसार की सब दौलत से भी ज्यादा जरूरी मनकी सांटी  और मन का सकूनन है। संसार के सारे शुख मन से संबंध है और सारे सुख  धुक से भरे है हमे ऐसा लकता है की ये मिल जयए  या ऐसा हो जाए तो हम शुख ही हो लाए गे । ये हमारा कल्पना है इलूसन है आज तक  कौन शुख ही हो पाया है सीबाय संत आतंगयानी  के। 

हमे ऐसा लगता है अगर बहुत पैसा हो जाएगा तो हम बहुत सुख ही हो जाये गे ये सच है की पैसा बहुत जरूरी है बहुत कुछ है मगर सब कुछ नही है। पैसा जीतना बरता  है उतनी टेंशन भी साथ मे आती है ये ठीक है की मान सम्मान  समाज मे रीस्पेक्ट  मन सम्मान मिल ता है मगर सांटी नहही मिलती नाइट मे नीद के लीय गोली भी खानी  होती है। लिमिट के अंदर ठीक  है अगर पैसा कमाने के चककर्र मे हम बीमार हो जाए या सरीर मे रोग लग जाए या हेल्थ खराब हो जाए टॉकीय हम खुस रह पायेगे परिवार को समय नही दे पारहे है पैसे बढ़े मगर सुकून नही मिलं रहा है सटेटूस उचा हो हो गया है। पैसे से सांटी और सकून नहही खरीदा जा सकता हिय। 

टिप्स 

क्या खूब लिखा है किसी ने ॥ बीते कल का अफसोस  और आने वाले कल की चिंता दो ऐसे चोर है॥ जो हमारे आज की  खूबसूरती को चुरा ले जाते है ॥ सदा मुस्कराते रहिए ।  

जिसे जीना आता है ओ बिना किसी सुबिधा के भी खुस मिलेगा ॥ और जिसे जीना नहीं आता ओ सभी सुवेधाओ के हो ते हुएय भी dhukhee  मिलेगा  जिंदग़ी म्यूजिक प्लेयर नही है जिससे आप अपनी पसंद के गीत सुन सके जिंदग़ी एक रेडियो है उसमे जो भी आ रहा है  उसी से मनोरंजन करे ishee विचार  के साथ सबको प्यार ब्यासत रहे मस्त रहे सस्वस्थ रहे 

जीवन मे किसी को रुलाकर हवासन भी करबॉउगे तो कोईई फायदा नही  और  अगर रोज किसी एक आदमी भी अगर हसा दिया  तो मेरे दोस्त आपको अगरबत्ती भी जलाने की जरूरत नहीं कर्म ही असली भगया  है 

जितना हम सुख खुसी दूसरों को देगे या वाटेगे उतना ही इन रिटर्न with  interest सुख मिलेगा मन सुख टन सुख 

जितनी चहनाए काम होगी और दुसरोसे उम्मीद काम होगी उतने जादा हम सुखी हो जाए गे मस्ट स्वस्थ और बेफ़िक  हो जाएगे बस धरम के अनुसार चले फैथ ऑन god कीप मस्ट । आए है God  की मर्जी से जाएगे भी God की मर्जी से । कुछ भी अच्छा या बुरा बिना कारण नही होता है Atal  सत्य है जो हो रहा है ठीक जो होगा ओ भी ठीक और जो होने वाला है ओ भी ठीक God की मर्जी के खिलाप एक पत्ता भी नही हिल सकता मान ले God की मर्जी सुखी होने का main उपाय है देर इस नो otherway .

सबके के लिए अच्छा सोचे ,अच्छा करे,help करे सेब करे,टन मन धन से भूखे को खाना खिलाए पियसे को पाने पिलाए बीमारी मे मदत करे आंतरिक खुसी मिलती है कर के ठेक ले। 

बुरे कर्म से डरे God से नही बुरा समय आता ही क्यों है पाप का घरा जब भर जाता है मै बहुत बरः जाती है अहंकार के मैड मे जब हम किसी को kush नही समजने लगते है किसी की भी नही सुनते अधरम के रास्ते चलते है अन्नाए करने लग जाते है दूसरों को दुख दे ने लग जाते है दुख आता है हमे जगाने के लिए होस मे लाने के लिए  धुक अट्टा है हमे दुखी करने नही atta । ये भी God की किरप से ही अट्टा है। God हर पल हमारे साथ है सबके पास  God किसी को भी कभी अकेला नही छोरते है हम मई Mai के कारण  अहक्कार के कारण हमारी चेतना खत्म हो जाती है अहंकार मे अंधे हो जाते है,इस  लाइ lye हम अधरम के रास्ते चलने लग जाते है \

सुख jहै प्रेम मे बसत्विक सुख प्रेम से ही पैदा होता है प्रेम ही जीवन है प्रेम पैदा होता है ज्ञान से और ज्ञान पैदा होता है सत्य से कनेक्ट होने से सत्य से प्रेम हो ने से और धरम के रास्ते चलने से God की किरीपया से ही हूस धरम के रास्ते चल सकते है सब से जररूरी है घरमे प्रेम प्यार से रहे हमारा ब्याहर मे सलीनता हो प्रेम हो हमारी बोली मे रीस्पेक्ट हो अपने घर के बढ़े bjurk का सम्मान करे । हमारे कारण किसी को धुक न हो अगर koyee galthee होगायी है chamma माग ले। अगर घर मे असंती है तो हम संसार मे कही भी सांटी या सुख नही मिल सकता।   

एक बात हमेसा याद raknee चहएए की दर्पण मे मुख dikayee तो देता है mager होता नहीं है  इशी तरहे संसार मे सुख होता ही नही है बस dhikhaiee दे त है होता नही है.



 




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.