Difference Between Heart Attack and Cardiac Arrest: Explained हार्ट अटैक और कार्डियक आरेस्ट में अंतर? दोनों के बीच अंतर को पुनः व्याख्या करें

Difference Between Heart Attack and Cardiac Arrest: Explained हार्ट अटैक और कार्डियक आरेस्ट में अंतर? दोनों के बीच अंतर को पुनः व्याख्या करें

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हम अक्सर यह सोचते हैं कि हृदय अटैक और कार्डिएक आरेस्ट के बीच अंतर क्या है और अक्सर इन दोनों को गलती से मिला देते हैं। जिनको इसके बारे में जानकारी नहीं है और गलती से भ्रमित हैं, उनके लिए यहां एक स्पष्टीकरण है। हृदय अटैक तब होता है जब हृदय के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है, अक्सर एक रक्त क्लॉट के कारण, जिससे हृदय के मांसपेशियों में क्षति होती है। वहीं, कार्डिएक आरेस्ट एक अचानक और अप्रत्याशित हृदय की कार्यक्षमता का नुकसान होता है, जिसमें हृदय का पल्ला एकदम से बंद हो जाता है। हृदय अटैक में एक रसायनिक समस्या होती है, जबकि कार्डिएक आरेस्ट एक विद्युत समस्या होती है, जिससे दोनों हार्ट इमरजेंसियों के बीच महत्वपूर्ण अंतर को जोर दिया जाता है। हार्ट अटैक एक स्थिति है जिसमें एक या एक से अधिक कोरोनरी धमनियां बंद हो जाती हैं, हृदय के किसी हिस्से के लिए रक्त का प्रवाह कम या बंद हो जाता है। वहीं, कार्डिएक आरेस्ट किसी अप्रत्याशित समय पर हार्ट की धारा का बंद हो जाना है, जिससे दिल की प्रदान की गई रक्त सप्लाई को रोक देता है। यह महत्वपूर्ण है कि हृदय अटैक कभी-कभी कार्डिएक आरेस्ट का कारण बन सकता है, हालांकि ये दो अलग घटनाएँ हैं।


हृदय अटैक को मायोकार्डियल इन्फार्क्शन भी कहा जाता है, जो एक या एक से अधिक कोरोनरी धमनियों में ब्लॉक होने की स्थिति है, जिससे हृदय मांसपेशियों के किसी हिस्से के लिए रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या बंद हो जाता है। वहीं, कार्डिएक आरेस्ट का होना वह समय होता है जब हृदय अप्रत्याशित रूप से धड़कना बंद कर देता है, जिससे दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को रक्त प्रबंधन की आपूर्ति नहीं होती है। जबकि वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन या वेंट्रिकुलर टेकिकार्डिया, जो हृदय की सामान्य ध्वनि को बिगाड़ते हैं और इसकी रक्त प्रवाह की क्षमता को प्रभावित करते


हृदय अटैक के संभावित लक्षण:


1. छाती में दर्द या अनुभव करने में दिक्कत

2. ब्रेथलेसनेस या दमा की शिकायत

3. हाथों, पैरों, जबड़े या पीठ में दर्द या अनुभव करने में दिक्कत

4. गड़गड़ाहट, तनाव या चिंता की अनुभूति

5. गंभीर थकान या कमजोरी की अनुभूति

6. उल्टी, गेस्ट्रोइंटेस्टिनल असमर्थता या अल्सर

7. असामान्य हृदय ध्वनि, जैसे अत्यधिक धड़कना या अनियमित ध्वनि


कार्डिएक आरेस्ट के संभावित लक्षण:


1. अचानक या अप्रत्याशित हार्ट धड़कन का संपूर्ण रूप से बंद हो जाना

2. संज्ञानशीलता का लॉस, अस्थायी या स्थायी गंभीरता की स्थिति में

3. बिना वजह बेहोशी या गहरी चक्कर आना

4. श्वास-प्रश्वास की समस्या या श्वास के अवरोध की अनुभूति

5. जबान या होंठ का नीला पड़ जाना

6. थकान या कमजोरी का अहसास

7. बिना किसी संकेत के या पूर्व सूचना के साथ असामान्य हृदय ध्वनि, जैसे कि वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन या वेंट्रिकुलर टेकिकार्डिया


एलोपैथी में हृदय अटैक के लिए तत्काल राहत के उपचार में अक्सीजन प्रदान किया जाता है, ताकि दिल को अधिक ऑक्सीजन मिल सके। आस्पिरिन का इस्तेमाल भी किया जाता है ताकि रक्त पत्थरी का खतरा कम हो सके। इसके अलावा, नाइट्रोग्लिसरिन को दिया जाता है ताकि रक्तवाहिनियों को बढ़ावा दिया जा सके और हृदय के रक्त प्रवाह को सुधारा जा सके। हालांकि, ये उपचार केवल प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों द्वारा ही दिए जाने चाहिए।


आयुर्वेद में, संदिग्ध हृदय अटैक के लिए तत्काल घरेलू उपचार निम्नलिखित हो सकते हैं:


1. लहसुन: कच्चे लहसुन की कलियाँ या लहसुन का रस पीने से कोलेस्ट्रोल स्तर कम हो सकता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

2. शहद और नींबू: गुनगुने पानी में शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से कोलेस्ट्रोल स्तर कम हो सकता है और रक्त प्रवाह में सुधार हो सकता है।

3. अर्जुन छाल: अर्जुन छाल पाउडर, पानी के साथ लेने से हृदय के मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है और रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

4. लाल मिर्च: थोड़ा सा लाल मिर्च पानी के साथ मिलाकर पीने से रक्त प्रवाह में सुधार हो सकता है और हृदय की छाती में दर्द को कम किया जा सकता है।

5. तुलसी पत्तियाँ: कुछ तुलसी पत्तियाँ चबाने या तुलसी चाय पीने से कोलेस्ट्रोल स्तर कम हो सकता है और छाती की तकलीफ को कम किया जा सकता है।

6. अदरक: अदरक के अंगूठे चबाने या कच्चा अदरक खाने से रक्त प्रवाह में सुधार हो सकता है।


यह ध्यान देने योग्य है कि ये घरेलू उपचार केवल कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये चिकित्सा उपचार के लिए विकल्प नहीं हैं। अगर किसी को हृदय अटैक के लक्षण हों, तो तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है और केवल घरेलू उपचार पर निर्भर नहीं करना चाहिए।

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